- कई लोगों को गुस्सा बहुत आता है। सोचते हैं गुस्सा नहीं करें, कस्में भी खाते हैं कि अब गुस्सा नहीं करेंगे, पर गुस्सा तब भी आ जाता है।
गुस्सा बहुत ही खतरनाक चीज़ है। यह अच्छे-खासे जीवन, अच्छे- खासे रिश्ते को तबाह कर देता है। आपके मन में जहर भरता है, आपकी जिंदगी में जहर भरता है, आपके शब्दों को जहरीला कर देता है। जो इंसान क्रोध करता है वह क्रोध के पहले भी अशांत रहता है, दुखी रहता है और क्रोध के बाद और भी ज्यादा दुखी हो जाता है।
कभी आपने विचार किया है कि क्या आपको क्रोध करने से कोई खुशी मिली, कोई सुख मिला? क्या आप पर किसी इंसान का क्रोध करना आपको अच्छा लगेगा? कोई भी व्यक्ति किसी का भी क्रोध पसंद नहीं कर सकता तो आपकी क्रोध को कोई कैसे पसंद करता होगा भला, कभी विचार किया आपने।
कभी भी आपको क्रोध आए तो आप खुद से कहिये कि आज नहीं कल करूंगा! एक बार ऐसा कर के तो देखिए, यकीन मानिए क्रोध पर आप विजय पाने लगेंगे।क्रोध को टालना सीखिए। आपका क्रोध स्वयं कुछ समय पश्चात शांत हो जाएगा। क्रोधित धुँए के समान है यह ज्यादा समय तक टिकता नहीं। मगर जिस समय आता है आपको संयम बनाना पड़ेगा। खुद पर नियंत्रण करना पड़ेगा। कुछ समय पश्चात यह खुद समाप्त हो जाएगा धुएं की तरह ।
इस पर कई लोग कहते हैं कि हम क्रोध करते नहीं सामने वाले हमें क्रोधित कर देते हैं क्यों आपका खुद पर नियंत्रण नहीं है। क्या आपको कोई टीवी हैं कि सामने वाले ने जो बटन दबाया और आप वही प्रोग्राम पेश करने लगे? लोग आजकल इतने हल्के हो गए हैं कि बिल्कुल बर्दाश्त ही नहीं है, बिल्कुल खुद पर नियंत्रण ही नहीं है ।इसलिए इतना आसान हो गया है आजकल किसी को भी गुस्सा दिलाना और वही कितना मुश्किल हो गया है किसी को खुश करना। इसकी वजह है हमारी एक गंदी आदत। किसी भी बुरी बात का आरोप किसी दूसरे पर डाल देते हैं लेकिन अगर आपको गुस्सा आना ही है तो वह आएगा ही अगर वह नहीं होगा तो कोई दूसरा होगा कोई दूसरा नहीं वह होगा तो तीसरा होगा आपका गुस्सा आना होगा तो वह आ ही जाएगा। अगर आपका गुस्सा नियंत्रित नहीं होगा तो वह निश्चित ही आएगा। चाहे दुनिया की हर चीज बदल जाए, हर नियम बदल जाए तब भी गुस्सा आएगा ।जब तक कि आप खुद को नहीं बदलेंगे। क्योंकि वह कमी आपमें है, वह चीज आपके भीतर है।
कई लोग कहते हैं गुस्सा हम करते नहीं आ जाता है ।यह कोई रोकने वाली चीज नहीं है जब आता है तो आ जाता है। चाहे कोई भी सामने हो फिर वह दिखता नहीं। झूठ बोलते हैं आप.... आपको सब दिखाई देता है। कभी सामने कोई मजबूत, शक्तिशाली और बड़ा व्यक्ति हो उस पर गुस्सा किया है कभी नहीं। हमेशा गुस्सा का शिकार कमजोर और आपसे छोटा ही होता है। गुस्सा उसी पर करते हैं जो आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। जो आप से पद में बड़ा है शक्ति में अधिक है वह चाहे जितना गलत करे आपके साथ, पर आपको गुस्सा नहीं आता क्योंकि पता है कि यहां हमें नुकसान है। इसका मतलब गुस्सा भी हम चुनकर ही करते हैं कहां करें और कहा ना करें। तो अब याद रखें एक बात की गुस्सा आप पर निर्भर करता है करना चाहोगे तो आएगा और रुकना चाहोगे तो नहीं आएगा। लेकिन जो हमसे शक्तिशाली हैं उसका हम कुछ कर नहीं पाते और जो कमजोर है उस पर हम सख्ती दिखाते हैं और इसका शिकार है अधिकतर घरों में महिलाएं होती हैं, उन पर कहीं का गुस्सा कहीं निकालते हैं कई लोग गुस्से में तो घर में हिंसा करते हैं परिवार में मारपीट करते हैं यह मनुष्यों के कार्य नहीं है। क्रोध एक ऐसी आग है जो क्रोध करने वाले को ही नहीं, उसके पूरे परिवार को से संबंध रखने वाले को भी जला डालती है। रिश्ता चाहे जितना मधुर मगर क्रोध आ जाए तो खटास पैदा कर ही देता है उस रिश्ते को खा जाता है
कई लोग कहेंगे तो फिर हम कुछ किसी को कहीं भी ना, जैसे जो कर रहा है करने दें। बच्चों को भी कुछ न कहें। नहीं, ईश्वर ने आपको भी विवेक दिया है। उस बात को समझें, उस पर स्थिति को समझें और एक सीमित दायरे में रहकर, सीमित और संयम भरे शब्दों के साथ गुस्सा हो क्रोधित नहीं। क्रोध और गुस्से में फर्क होता है। गुस्सा करें, मगर एक सीमित समय के लिए, एक सीमित दायरे में रहकर। कोई गलत रास्ते पर है तो आपका फर्ज है गुस्सा दिखाना, लेकिन गुस्सा बाहर से होना चाहिए अंदर से नहीं। आपने किसी को भलाई के लिए गुस्सा किया, कोई बात बोली तो उस वक्त बोलकर आगे बढ़ जाइये। उसे दिल में ना बैठा लिजिये। क्रोध की अग्नि में मत जलिए। अगर खुश रहना है तो क्रोध करना छोड़ दीजिए।
ना आप किसी का क्रोध सह सकते हैं और ना ही आपका कोई क्रोध सहेगा, तो याद रखना जब भी क्रोध आए तो अपना क्रोध कल के लिए टाल दीजिए और जिंदगी खुशहाल बनाएं।
-जीतू बिंदास
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